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राष्ट्र भाषा हिंदी पर महापुरुषों के उत्कृष्ट विचार |


Best Quotes About Hindi ~ राष्ट्र भाषा हिंदी पर महापुरुषों के उत्कृष्ट विचार | 




"राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।" - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार।


"हिंदी का काम देश का काम है, समूचे राष्ट्रनिर्माण का प्रश्न है।" - बाबूराम सक्सेना।


"समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।" - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर।


"हिंदी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा है।" - शंकरराव कप्पीकेरी।


"अकबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने जिस देशभाषा का स्वागत किया वह ब्रजभाषा थी।" -रामचंद्र शुक्ल।


"राष्ट्रभाषा हिंदी का किसी क्षेत्रीय भाषा से कोई संघर्ष नहीं है।" - अनंत गोपाल शेवड़े।


"हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है।" - वी. कृष्णस्वामी अय्यर।


"राष्ट्रीय एकता की कड़ी हिंदी ही जोड़ सकती है।" - बालकृष्ण शर्मा नवीन।


"विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।" - वाल्टर चेनिंग।


"हिंदी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये।" - बेरिस कल्यएव।


"देश को एक सूत्र में बाँधे रखने के लिए एक भाषा की आवश्यकता है।" - सेठ गोविंददास।


"इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।" - राहुल सांकृत्यायन।


"समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिंदी या हिंदुस्तानी है।" -सर जार्ज ग्रियर्सन।


"मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर।" - चंद्रबली पांडेय।


"भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है।" - नलिनविलोचन शर्मा।


"जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी।" - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।


"अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई।" - भवानीदयाल संन्यासी।


"भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है।" - टी. माधवराव।


"हिंदी हिंद की, हिंदियों की भाषा है।" - र. रा. दिवाकर।


"यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं।" - राजेन्द्र प्रसाद।


"समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है।" - जनार्दनप्रसाद झा द्विज।


"शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है।" - शिवप्रसाद सितारेहिंद।


"हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है।" - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह।


"वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके।" - पीर मुहम्मद मूनिस।


"भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।" - शिवपूजन सहाय।


"हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से प्रकाशित हो रही है।" - छविनाथ पांडेय।


"देवनागरी ध्वनिशास्त्र की दृष्टि से अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है।" - रविशंकर शुक्ल।


"हमारी नागरी दुनिया की सबसे अधिक वैज्ञानिक लिपि है।" - राहुल सांकृत्यायन।


"नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है।" - गोपाललाल खत्री।


"उसी दिन मेरा जीवन सफल होगा जिस दिन मैं सारे भारतवासियों के साथ शुद्ध हिंदी में वार्तालाप करूँगा।" - शारदाचरण मित्र।


"हिंदी के ऊपर आघात पहुँचाना हमारे प्राणधर्म पर आघात पहुँचाना है।" - जगन्नाथप्रसाद मिश्र।


"हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।" - देवव्रत शास्त्री।


"हिंदी और नागरी का प्रचार तथा विकास कोई भी रोक नहीं सकता।" - गोविन्दवल्लभ पंत।


"संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।" - डॉ. फादर कामिल बुल्के।


"भाषा विचार की पोशाक है।" - डॉ. जानसन।


"रामचरित मानस हिंदी साहित्य का कोहनूर है।" - यशोदानंदन अखौरी।


"साहित्य के हर पथ पर हमारा कारवाँ तेजी से बढ़ता जा रहा है।" - रामवृक्ष बेनीपुरी।


"कवि संमेलन हिंदी प्रचार के बहुत उपयोगी साधन हैं।" - श्रीनारायण चतुर्वेदी।


"हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया।" - राजेंद्रप्रसाद।


"जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।" - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।


"हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है।" - शारदाचरण मित्र।


"हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है।" - कमलापति त्रिपाठी।


"हिंदी भाषा को भारतीय जनता तथा संपूर्ण मानवता के लिये बहुत बड़ा उत्तरदायित्व सँभालना है।" - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या।


"राष्ट्रभाषा हिंदी हो जाने पर भी हमारे व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन पर विदेशी भाषा का प्रभुत्व अत्यंत गर्हित बात है।" - कमलापति त्रिपाठी।


"सभ्य संसार के सारे विषय हमारे साहित्य में आ जाने की ओर हमारी सतत् चेष्टा रहनी चाहिए।" - श्रीधर पाठक।


"भारतवर्ष के लिए हिंदी भाषा ही सर्वसाधरण की भाषा होने के उपयुक्त है।" - शारदाचरण मित्र।


"हिंदी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।" - धीरेन्द्र वर्मा।


"जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं।"- सेठ गोविंददास।


"भाषा की समस्या का समाधान सांप्रदायिक दृष्टि से करना गलत है।" - लक्ष्मीनारायण सुधांशु।


"भारतीय साहित्य और संस्कृति को हिंदी की देन बड़ी महत्त्वपूर्ण है।" - सम्पूर्णानन्द।


"हिंदी के पुराने साहित्य का पुनरुद्धार प्रत्येक साहित्यिक का पुनीत कर्तव्य है।" - पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल।


"परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें।" - हरगोविंद सिंह।


"अहिंदी भाषा-भाषी प्रांतों के लोग भी सरलता से टूटी-फूटी हिंदी बोलकर अपना काम चला लेते हैं।" - अनंतशयनम् आयंगार।


"दाहिनी हो पूर्ण करती है अभिलाषा पूज्य हिंदी भाषा हंसवाहिनी का अवतार है।" - अज्ञात।


"हिंदुस्तान की भाषा हिंदी है और उसका दृश्यरूप या उसकी लिपि सर्वगुणकारी नागरी ही है।" - गोपाललाल खत्री।


"हिंदी ही के द्वारा अखिल भारत का राष्ट्रनैतिक ऐक्य सुदृढ़ हो सकता है।" - भूदेव मुखर्जी।


"हिंदी का शिक्षण भारत में अनिवार्य ही होगा।" - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या।


"हिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित है।" - नन्ददुलारे वाजपेयी।


"हिंदी साहित्य धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष इस चतु:पुरुषार्थ का साधक अतएव जनोपयोगी।" - (डॉ.) भगवानदास।


"हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।" - मैथिलीशरण गुप्त।


"अब हिंदी ही माँ भारती हो गई है- वह सबकी आराध्य है, सबकी संपत्ति है।" - रविशंकर शुक्ल।


"बच्चों को विदेशी लिपि की शिक्षा देना उनको राष्ट्र के सच्चे प्रेम से वंचित करना है।" - भवानीदयाल संन्यासी।


"भाषा और राष्ट्र में बड़ा घनिष्ट संबंध है।" - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।


"हिंदी भाषा की उन्नति का अर्थ है राष्ट्र और जाति की उन्नति।" - रामवृक्ष बेनीपुरी।


"भारतेंदु का साहित्य मातृमंदिर की अर्चना का साहित्य है।" - बदरीनाथ शर्मा।


"तलवार के बल से न कोई भाषा चलाई जा सकती है न मिटाई।" - शिवपूजन सहाय।


"अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिये ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता समझता है।" - महात्मा गाँधी।


"हिंदी को राजभाषा करने के बाद पूरे पंद्रह वर्ष तक अंग्रेजी का प्रयोग करना पीछे कदम हटाना है।"- राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन।


"भाषा राष्ट्रीय शरीर की आत्मा है।" - स्वामी भवानीदयाल संन्यासी।


"हिंदी के राष्ट्रभाषा होने से जहाँ हमें हर्षोल्लास है, वहीं हमारा उत्तरदायित्व भी बहुत बढ़ गया है।"- मथुरा प्रसाद दीक्षित।


"भारतवर्ष में सभी विद्याएँ सम्मिलित परिवार के समान पारस्परिक सद्भाव लेकर रहती आई हैं।"- रवींद्रनाथ ठाकुर।


"इतिहास को देखते हुए किसी को यह कहने का अधिकारी नहीं कि हिंदी का साहित्य जायसी के पहले का नहीं मिलता।" - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।


"संप्रति जितनी भाषाएं भारत में प्रचलित हैं उनमें से हिंदी भाषा प्राय: सर्वत्र व्यवहृत होती है।" - केशवचंद्र सेन।


"हिंदी ने राष्ट्रभाषा के पद पर सिंहानसारूढ़ होने पर अपने ऊपर एक गौरवमय एवं गुरुतर उत्तरदायित्व लिया है।" - गोविंदबल्लभ पंत।


"हिंदी जिस दिन राजभाषा स्वीकृत की गई उसी दिन से सारा राजकाज हिंदी में चल सकता था।" - सेठ गोविंददास।


"हिंदी भाषी प्रदेश की जनता से वोट लेना और उनकी भाषा तथा साहित्य को गालियाँ देना कुछ नेताओं का दैनिक व्यवसाय है।" - (डॉ.) रामविलास शर्मा।


"जब एक बार यह निश्चय कर लिया गया कि सन् १९६५ से सब काम हिंदी में होगा, तब उसे अवश्य कार्यान्वित करना चाहिए।" - सेठ गोविंददास।


"जिसका मन चाहे वह हिंदी भाषा से हमारा दूर का संबंध बताये, मगर हम बिहारी तो हिंदी को ही अपनी भाषा, मातृभाषा मानते आए हैं।" - शिवनंदन सहाय।


"मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती। - मैथिलीशरण गुप्त।


"लाखों की संख्या में छात्रों की उस पलटन से क्या लाभ जिनमें अंग्रेजी में एक प्रार्थनापत्र लिखने की भी क्षमता नहीं है।"- कंक।


"मैं राष्ट्र का प्रेम, राष्ट्र के भिन्न-भिन्न लोगों का प्रेम और राष्ट्रभाषा का प्रेम, इसमें कुछ भी फर्क नहीं देखता।" - र. रा. दिवाकर।


"देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता स्वयं सिद्ध है।" - महावीर प्रसाद द्विवेदी।


"हिमालय से सतपुड़ा और अंबाला से पूर्णिया तक फैला हुआ प्रदेश हिंदी का प्रकृत प्रांत है।" - राहुल सांकृत्यायन।


"किसी राष्ट्र की राजभाषा वही भाषा हो सकती है जिसे उसके अधिकाधिक निवासी समझ सके।" - (आचार्य) चतुरसेन शास्त्री।


"साहित्य के इतिहास में काल विभाजन के लिए तत्कालीन प्रवृत्तियों को ही मानना न्यायसंगत है।" - अंबाप्रसाद सुमन।


"हिंदी भाषा हमारे लिये किसने बनाया? प्रकृति ने। हमारे लिये हिंदी प्रकृतिसिद्ध है।" - पं. गिरिधर शर्मा।


"हिंदी भाषा उस समुद्र जलराशि की तरह है जिसमें अनेक नदियाँ मिली हों।" - वासुदेवशरण अग्रवाल।


"भाषा देश की एकता का प्रधान साधन है।" - (आचार्य) चतुरसेन शास्त्री।


"क्रांतदर्शी होने के कारण ऋषि दयानंद ने देशोन्नति के लिये हिंदी भाषा को अपनाया था।" - विष्णुदेव पौद्दार।


"सच्चा राष्ट्रीय साहित्य राष्ट्रभाषा से उत्पन्न होता है।" - वाल्टर चेनिंग।


"हिंदी के पौधे को हिंदू मुसलमान दोनों ने सींचकर बड़ा किया है।" - जहूरबख्श।


"हिंदी राष्ट्रभाषा है, इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को, प्रत्येक भारतवासी को इसे सीखना चाहिए।" - रविशंकर शुक्ल।


"हिंदी प्रांतीय भाषा नहीं बल्कि वह अंत:प्रांतीय राष्ट्रीय भाषा है। - छविनाथ पांडेय।


"साहित्य को उच्च अवस्था पर ले जाना ही हमारा परम कर्तव्य है।" - पार्वती देवी।


"विश्व की कोई भी लिपि अपने वर्तमान रूप में नागरी लिपि के समान नहीं।" - चंद्रबली पांडेय।


"भाषा की एकता जाति की एकता को कायम रखती है।" - राहुल सांकृत्यायन।


"जिस राष्ट्र की जो भाषा है उसे हटाकर दूसरे देश की भाषा को सारी जनता पर नहीं थोपा जा सकता - वासुदेवशरण अग्रवाल।"

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"पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्रगुना अच्छी है।" - अज्ञात।



"समाज के अभाव में आदमी की आदमियत की कल्पना नहीं की जा सकती।"- पं. सुधाकर पांडेय।


"तुलसी, कबीर, नानक ने जो लिखा है, उसे मैं पढ़ता हूँ तो कोई मुश्किल नहीं आती।" - मौलाना मुहम्मद अली।


"भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर।" - रामवृक्ष बेनीपुरी।


"हिंदी भाषी ही एक ऐसी भाषा है जो सभी प्रांतों की भाषा हो सकती है।" - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार।


"जब हम हिंदी की चर्चा करते हैं तो वह हिंदी संस्कृति का एक प्रतीक होती है।" - शांतानंद नाथ।


"भारतीय धर्म की है घोषणा घमंड भरी, हिंदी नहीं जाने उसे हिंदू नहीं जानिए।" - नाथूराम शंकर शर्मा।


"राजनीति के चिंतापूर्ण आवेग में साहित्य की प्रेरणा शिथिल नहीं होनी चाहिए।" - राजकुमार वर्मा।


"हिंदी में जो गुण है उनमें से एक यह है कि हिंदी मर्दानी जबान है।" - सुनीति कुमार चाटुर्ज्या।


"बिना मातृभाषा की उन्नति के देश का गौरव कदापि वृद्धि को प्राप्त नहीं हो सकता।" - गोविंद शास्त्री दुगवेकर।


"राष्ट्रभाषा राष्ट्रीयता का मुख्य अंश है।" - श्रीमती सौ. चि. रमणम्मा देव।


"बानी हिंदी भाषन की महरानी, चंद्र, सूर, तुलसी से जामें भए सुकवि लासानी।" - पं. जगन्नाथ चतुर्वेदी।


"जय जय राष्ट्रभाषा जननि। जयति जय जय गुण उजागर राष्ट्रमंगलकरनि।" - देवी प्रसाद गुप्त।


"हिंदी हमारी हिंदू संस्कृति की वाणी ही तो है।" - शांतानंद नाथ।


"आज का लेखक विचारों और भावों के इतिहास की वह कड़ी है जिसके पीछे शताब्दियों की कड़ियाँ जुड़ी है।" - माखनलाल चतुर्वेदी।


"विज्ञान के बहुत से अंगों का मूल हमारे पुरातन साहित्य में निहित है।" - सूर्यनारायण व्यास।


"हमारी राष्ट्रभाषा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीयता का दृढ़ निर्माण है।" - चंद्रबली पांडेय।


"मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।" - विनोबा भावे।


"हिंदी विश्व की महान भाषा है।" - राहुल सांकृत्यायन।


"राष्ट्रीय एकता के लिये एक भाषा से कहीं बढ़कर आवश्यक एक लिपि का प्रचार होना है।" - ब्रजनंदन सहाय।


"मैं मानती हूँ कि हिंदी प्रचार से राष्ट्र का ऐक्य जितना बढ़ सकता है वैसा बहुत कम चीजों से बढ़ सकेगा।" - लीलावती मुंशी।


"हिंदी उर्दू के नाम को दूर कीजिए एक भाषा बनाइए। सबको इसके लिए तैयार कीजिए।" - देवी प्रसाद गुप्त।


"साहित्यकार विश्वकर्मा की अपेक्षा कहीं अधिक सामर्थ्यशाली है।" - पं. वागीश्वर जी।


"हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य को सर्वांगसुंदर बनाना हमारा कर्त्तव्य है।" - डॉ. राजेंद्रप्रसाद।


"हिंदी साहित्य की नकल पर कोई साहित्य तैयार नहीं होता।" - सूर्य कांत त्रिपाठी निराला।


"भाषा के उत्थान में एक भाषा का होना आवश्यक है। इसलिये हिंदी सबकी साझा भाषा है।" - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार।


"यदि स्वदेशाभिमान सीखना है तो मछली से जो स्वदेश (पानी) के लिये तड़प तड़प कर जान दे देती है।" - सुभाषचंद्र बसु।


"पिछली शताब्दियों में संसार में जो राजनीतिक क्रांतियाँ हुई, प्राय: उनका सूत्रसंचालन उस देश के साहित्यकारों ने किया है।" - पं. वागीश्वर जी।


"हिंदी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है।" - माखनलाल चतुर्वेदी।


"भारत सरस्वती का मुख संस्कृत है।" - म. म. रामावतार शर्मा।


"यदि आप मुझे कुछ देना चाहती हों तो इस पाठशाला की शिक्षा का माध्यम हमारी मातृभाषा कर दें।" - एक फ्रांसीसी बालिका।


"हिंदुस्तान को छोड़कर दूसरे मध्य देशों में ऐसा कोई अन्य देश नहीं है, जहाँ कोई राष्ट्रभाषा नहीं हो।"- सैयद अमीर अली मीर।


"सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिंदी महानतम स्थान रखती है।" - अमरनाथ झा।


"हिंदी सरल भाषा है। इसे अनायास सीखकर लोग अपना काम निकाल लेते हैं।" - जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी।


"किसी भाषा की उन्नति का पता उसमें प्रकाशित हुई पुस्तकों की संख्या तथा उनके विषय के महत्व से जाना जा सकता है।" - गंगाप्रसाद अग्निहोत्री।


"जीवन के छोटे से छोटे क्षेत्र में हिंदी अपना दायित्व निभाने में समर्थ है।" - पुरुषोत्तमदास टंडन।


"बिहार में ऐसा एक भी गाँव नहीं है जहाँ केवल रामायण पढ़ने के लिये दस-बीस मनुष्यों ने हिंदी न सीखी हो।" - सकलनारायण पांडेय।


"संस्कृत की इशाअत (प्रचार) का एक बड़ा फायदा यह होगा कि हमारी मुल्की जबान (देशभाषा) वसीअ (व्यापक) हो जायगी।" - मौलवी महमूद अली।


"संसार में देश के नाम से भाषा को नाम दिया जाता है और वही भाषा वहाँ की राष्ट्रभाषा कहलाती है।" - ताराचंद्र दूबे।


"जो गुण साहित्य की जीवनी शक्ति के प्रधान सहायक होते हैं उनमें लेखकों की विचारशीलता प्रधान है।" - नरोत्तम व्यास।


"साहित्य पढ़ने से मुख्य दो बातें तो अवश्य प्राप्त होती हैं, अर्थात् मन की शक्तियों को विकास और ज्ञान पाने की लालसा।" - बिहारीलाल चौबे।


"है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरी भरी। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा और लिपि है नागरी।" - मैथिलीशरण गुप्त।


"संस्कृत की विरासत हिंदी को तो जन्म से ही मिली है।" - राहुल सांकृत्यायन।


"कैसे निज सोये भाग को कोई सकता है जगा, जो निज भाषा-अनुराग का अंकुर नहिं उर में उगा।" - हरिऔध।


"हिंदी में हम लिखें पढ़ें, हिंदी ही बोलें।" - पं. जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी।


"यह जो है कुरबान खुदा का, हिंदी करे बयान सदा का।" - अज्ञात।


"क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो।" - डॉ. श्यामसुंदर दास।


"वास्तव में वेश, भाषा आदि के बदलने का परिणाम यह होता है कि आत्मगौरव नष्ट हो जाता है, जिससे देश का जातित्व गुण मिट जाता है।" - सैयद अमीर अली मीर।


"समालोचना ही साहित्य मार्ग की सुंदर सड़क है।" - म. म. गिरधर शर्मा चतुर्वेदी।


"नागरी वर्णमाला के समान सर्वांगपूर्ण और वैज्ञानिक कोई दूसरी वर्णमाला नहीं है।" - बाबू राव विष्णु पराड़कर।


"व्याकरण चाहे जितना विशाल बने परंतु भाषा का पूरा-पूरा समाधान उसमें नहीं हो सकता।" - अनंतराम त्रिपाठी।


"स्वदेशप्रेम, स्वधर्मभक्ति और स्वावलंबन आदि ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक मनुष्य में होने चाहिए।" - रामजी लाल शर्मा।


"गुणवान खानखाना सदृश प्रेमी हो गए रसखान और रसलीन से हिंदी प्रेमी हो गए।" - राय देवीप्रसाद।


"वैज्ञानिक विचारों के पारिभाषिक शब्दों के लिये, किसी विषय के उच्च भावों के लिये, संस्कृत साहित्य की सहायता लेना कोई शर्म की बात नहीं है।" - गणपति जानकीराम दूबे।


"हिंदुस्तान के लिये देवनागरी लिपि का ही व्यवहार होना चाहिए, रोमन लिपि का व्यवहार यहाँ हो ही नहीं सकता।" - महात्मा गाँधी।


"हिंदी किसी के मिटाने से मिट नहीं सकती।" - चंद्रबली पाण्डेय।


"भाषा की उन्नति का पता मुद्रणालयों से भी लग सकता है।" - गंगाप्रसाद अग्निहोत्री।


"आर्यों की सबसे प्राचीन भाषा हिंदी ही है और इसमें तद्भव शब्द सभी भाषाओं से अधिक है।" - वीम्स साहब।


"क्यों न वह फिर रास्ते पर ठीक चलने से डिगे , हैं बहुत से रोग जिसके एक ही दिल में लगे।" - हरिऔध।


"जब तक साहित्य की उन्नति न होगी, तब तक संगीत की उन्नति नहीं हो सकती।" - विष्णु दिगंबर।


"राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है।" - महात्मा गाँधी।


रूपों में बहुत साहित्य है।" - अंबिका प्रसाद वाजपेयी।


"हम हिन्दी वालों के हृदय में किसी सम्प्रदाय या किसी भाषा से रंचमात्र भी ईर्ष्या, द्वेष या घृणा नहीं है।" - शिवपूजन सहाय।


"भारत के विभिन्न प्रदेशों के बीच हिन्दी प्रचार द्वारा एकता स्थापित करने वाले सच्चे भारत बंधु हैं।" - अरविंद।


"राष्ट्रीय एकता के लिये हमें प्रांतीयता की भावना त्यागकर सभी प्रांतीय भाषाओं के लिए एक लिपि देवनागरी अपना लेनी चाहिये।" - शारदाचरण मित्र (जस्टिस)।


"समूचे राष्ट्र को एकताबद्ध और दृढ़ करने के लिए हिन्द भाषी जाति की एकता आवश्यक है।" - रामविलास शर्मा।


"हिन्दी का भविष्य उज्ज्वल है, इसमें कोई संदेह नहीं।" - अनंत गोपाल शेवड़े।


"हिन्दी को ही राजभाषा का आसन देना चाहिए।" - शचींद्रनाथ बख्शी।


"अंतरप्रांतीय व्यवहार में हमें हिन्दी का प्रयोग तुरंत शुरू कर देना चाहिए।" - र. रा. दिवाकर।


"हिन्दी का शासकीय प्रशासकीय क्षेत्रों से प्रचार न किया गया तो भविष्य अंधकारमय हो सकता है।" - विनयमोहन शर्मा।


"हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने में प्रांतीय भाषाओं को हानि नहीं वरन् लाभ होगा।" - अनंतशयनम् आयंगार।


"संस्कृत के अपरिमित कोश से हिन्दी शब्दों की सब कठिनाइयाँ सरलता से हल कर लेगी।" - राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन।



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